बाइनरी, डेसिमल, ऑक्टल, हेक्साडेसिमल और अन्य डेटा रिप्रजेंटेशन के माध्यम
डेटा रिप्रजेंटेशन का उद्देश्य कंप्यूटर सिस्टम में डेटा को एक विशिष्ट रूप में व्यक्त करना है ताकि उसे प्रोसेस किया जा सके और मानव उपयोगकर्ताओं के लिए समझना आसान हो। कंप्यूटर की मूल भाषा बाइनरी है, लेकिन विभिन्न प्रकार के डेटा रिप्रजेंटेशन सिस्टम (जैसे डेसिमल, ऑक्टल, हेक्साडेसिमल) का उपयोग किया जाता है ताकि कंप्यूटर और उपयोगकर्ता के बीच डेटा की समझ में आसानी हो।
1. बाइनरी (Binary):
बाइनरी प्रणाली कंप्यूटर की मूल भाषा है। इसमें केवल दो अंक होते हैं: 0 और 1। ये अंक कंप्यूटर के द्वारा सभी डेटा प्रोसेसिंग, गणना और स्टोरेज में उपयोग किए जाते हैं। बाइनरी डेटा कंप्यूटर के लिए समझने योग्य होता है क्योंकि कंप्यूटर का हार्डवेयर दो अवस्थाओं ON (1) और OFF (0) में काम करता है।
उदाहरण:
बाइनरी में 5 को 101 के रूप में लिखा जाता है।
बाइनरी में A को 01000001 के रूप में लिखा जाता है (ASCII कोड के अनुसार)।
2. डेसिमल (Decimal):
डेसिमल प्रणाली सामान्य रूप से मानव द्वारा उपयोग की जाने वाली संख्या प्रणाली है। इसमें कुल दस अंक होते हैं: 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9। डेसिमल प्रणाली का उपयोग हम रोज़मर्रा की जिंदगी में करते हैं, जैसे कि पैसे, माप और समय की गणना।
उदाहरण:
डेसिमल में 5 को 5 के रूप में लिखा जाता है।
डेसिमल में A को 65 के रूप में लिखा जाता है (ASCII कोड के अनुसार)।
3. ऑक्टल (Octal):
ऑक्टल प्रणाली 8-आधारित प्रणाली है, जिसमें 8 अंक होते हैं: 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7। बाइनरी और ऑक्टल के बीच सीधा संबंध है क्योंकि एक बाइनरी अंकीय समूह को ऑक्टल में बदलना आसान होता है। ऑक्टल को कंप्यूटर में बाइनरी डेटा को छोटे रूप में प्रस्तुत करने के लिए उपयोग किया जाता है।
उदाहरण:
ऑक्टल में 5 को 5 के रूप में लिखा जाता है।
ऑक्टल में A को 12 के रूप में लिखा जाता है (बाइनरी 01000001 को ऑक्टल में बदलने पर)।
4. हेक्साडेसिमल (Hexadecimal):
हेक्साडेसिमल प्रणाली 16-आधारित प्रणाली है, जिसमें 16 अंक होते हैं: 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, A, B, C, D, E, F। यह प्रणाली बाइनरी डेटा को छोटे, अधिक पठनीय रूप में प्रस्तुत करने के लिए उपयोग की जाती है। हेक्साडेसिमल में प्रत्येक अंक 4 बाइनरी अंकों के बराबर होता है, जो इसे कंप्यूटर विज्ञान में बहुत प्रभावी बनाता है।
उदाहरण:
हेक्साडेसिमल में 5 को 5 के रूप में लिखा जाता है।
हेक्साडेसिमल में A को 41 के रूप में लिखा जाता है (बाइनरी 01000001 को हेक्साडेसिमल में बदलने पर)।
5. आधिकारिक डेटा रिप्रजेंटेशन प्रणाली (Other Data Representation Systems):
इसके अलावा कई अन्य डेटा रिप्रजेंटेशन विधियाँ भी होती हैं जिनका उपयोग कंप्यूटर विज्ञान में विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है। कुछ महत्वपूर्ण प्रणालियाँ हैं:
- BCD (Binary Coded Decimal): BCD एक प्रकार की डेटा रिप्रजेंटेशन प्रणाली है, जिसमें प्रत्येक डेसिमल अंक को 4-बिट बाइनरी के रूप में रिप्रजेंट किया जाता है। यह प्रणाली मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में उपयोग की जाती है जहां मानव-हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है, जैसे कि कैलकुलेटर और अन्य गणना उपकरण। उदाहरण:
डेसिमल 45 को BCD में 01000101 01000100 के रूप में लिखा जाता है। - ASCII (American Standard Code for Information Interchange): ASCII एक मानक है जो टेक्स्ट डेटा को रिप्रजेंट करने के लिए 7-बिट या 8-बिट बाइनरी कोड का उपयोग करता है। यह कंप्यूटर में टेक्स्ट को स्टोर और ट्रांसफर करने के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण:
ASCII में A को 01000001 के रूप में लिखा जाता है। - Unicode: Unicode एक वैश्विक मानक है जो दुनिया की अधिकांश भाषाओं के प्रतीकों का समर्थन करता है। यह ASCII से आगे बढ़कर अधिक बाइट्स का उपयोग करता है और सभी भाषाओं के लिए एक सामान्य रिप्रजेंटेशन प्रदान करता है। उदाहरण:
Unicode में A को U+0041 के रूप में रिप्रजेंट किया जाता है।
बाइनरी, डेसिमल, ऑक्टल, हेक्साडेसिमल और अन्य डेटा रिप्रजेंटेशन के माध्यमों का सारांश:
प्रणाली | आधार | अंक | उदाहरण |
---|---|---|---|
बाइनरी (Binary) | 2-आधारित | 0, 1 | 101 (बाइनरी में 5) |
डेसिमल (Decimal) | 10-आधारित | 0-9 | 5 (डेसिमल में 5) |
ऑक्टल (Octal) | 8-आधारित | 0-7 | 5 (ऑक्टल में 5) |
हेक्साडेसिमल (Hexadecimal) | 16-आधारित | 0-9, A-F | 41 (हेक्साडेसिमल में A) |
BCD (Binary Coded Decimal) | 2-आधारित | 0-9 (4 बिट प्रति अंक) | 01000101 01000100 (45) |
ASCII | 7-बिट | 0-127 | 01000001 (A) |
Unicode | विविध | अधिक बाइट्स के साथ | U+0041 (A) |
निष्कर्ष:
बाइनरी, डेसिमल, ऑक्टल, हेक्साडेसिमल और अन्य डेटा रिप्रजेंटेशन प्रणाली सभी विभिन्न तरीके हैं जिनसे हम डेटा को कंप्यूटर में रिप्रजेंट करते हैं। बाइनरी सिस्टम कंप्यूटर की मूल भाषा है, जबकि अन्य प्रणालियाँ मानव उपयोगकर्ताओं के लिए डेटा को अधिक पठनीय और उपयोगी बनाने के लिए बनाई गई हैं। इन प्रणालियों का सही उपयोग कंप्यूटर सिस्टम की कार्यक्षमता और डेटा प्रोसेसिंग की गति में सुधार करता है।